उत्कृष्ट चर्चा - दावत के कार्य को आगे बढा़ने के लिए आवश्यक - 07

डॉ. मोहम्मद मंज़ूर आलम

कुरान में बताए गए तीन बुनियादी सिद्धांतों में, तीसरा सिद्धांत उत्कृष्ट चर्चा है। पहला सिद्धांत हिक्मत था, दूसरा सिद्धांत सलाह और तीसरा उत्कृष्ट चर्चा है। आज तीसरे सिद्धांत के बारे में कुछ संकेत देने हैं, पहले दो पर चर्चा हो चुकी है।

आमतौर पर जब शब्द बहस या चर्चा का उपयोग किया जाता है, तो इस में नकारात्मक पक्ष का भी भाव होता है। इसीलिए कुरान ने इसके लिए "अच्छाई" की अवधारणा का उपयोग किया है। यही है, उत्कृष्ट चर्चा, गंभीर चर्चा और तर्कपूर्ण चर्चा। इस नए शब्द का उपयोग करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बहस के शब्द को गलत न समझे। इसे लड़ाई का विवाद और अज्ञानी और सतही बहस मत समझे। कुरान कहता है कि आवश्यकता पड़ने पर गंभीर और शांत वातावरण में एक शांत बातचीत की आवश्यकता होती है। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। किसी के दिमाग में इस्लाम को लेकर कोई गलतफहमी नहीं रहे ।

कुरान जिस उत्कृष्ट चर्चा के लिए आमंत्रित करता है, वो चर्चा बिना तैयारी के संपन्न नहीं हो सकती। इसके लिए एक ओर इस्लामिक मान्यताओं और नियमों पर गहरी नजर होनी चाहिए और दूसरी ओर अन्य धर्मों का मजबूत अध्ययन होना चाहिए। एक ओर इस्लामिक इतिहास और सभ्यता से पूरी तरह परिचित होना चाहिए तो दूसरी ओर भारतीय इतिहास, सभ्यता और मनोविज्ञान पर अच्छी नज़र होनी चाहिए। इस अवसर की उपयुक्तता और सामने वाले की भाषा, मनोदशा और सामाजिक और शैक्षिक स्तर को भी ध्यान में रखना चाहिए। वर्तमान में, परस्पर संवादों की एक श्रृंखला है। यदि हम कुरान के रंग में चित्रित करके परस्पर संवादों की एक नई श्रृंखला शुरू करें तो यह कुरान के आदेश की पूर्ति भी होगी और एक बड़ी मानवीय आवश्यकता को भी पूरा करेगी।




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